
सद्गुरू ही शिष्य को परमात्मा से जोड़ता है-स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती
महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि गुरू पूर्णिमा गुरू के प्रति कृतज्ञता और आस्था व्यक्त करने का विशेष पर्व है। सन्यास रोड़ स्थित रामेश्वरानंद आश्रम में आयोजित गुरू पूर्णिमा उत्सव के दौरान शिष्यों को गुरू की महिमा से अवगत कराते हुए महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। महर्षि वेदव्यास ने ही पहली बार मानव जाति को चारो वेदों का ज्ञान दिया था।
इसलिए उनको प्रथम गुरु की उपाधि दी गयी। महर्षि वेद व्यास की शिक्षाएं वर्तमान समय में भी प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि सद्गुरू ही शिष्य को धर्मशास्त्रों के ज्ञान और परमात्मा से जोड़ता है। गुरू से प्राप्त ज्ञान के द्वारा ही मनुष्य सुख, शांति, उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त करके अपने जीवन को सफल और उन्नत बना सकता है। इसीलिए शास्त्रों में गुरू का स्थान सर्वोच्च बताया गया है। गुरू के प्रति श्रद्धा और सम्मान रखने वाला शिष्य ही उच्च पद प्राप्त करता है। इसलिए सभी को सदैव का गुरू का सम्मान करते हुए उनकी शिक्षाओं को जीवन में धारण करना चाहिए