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अखाड़े के साधु संत को भेजा जाए राज्यसभा: कैलाशानंद गिरि-निरंजनी अखाड़ा सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी के नाम पर दी सहमति

अखाड़े के साधु संत को भेजा जाए राज्यसभा: कैलाशानंद गिरि

– निरंजन पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि ने रखी राय

– निरंजनी अखाड़ा सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी के नाम पर दी सहमति

हरिद्वार: निरंजन पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि ने किसी संत को राज्यसभा भेजने के फैसले पर ऐसे संत का चुनाव करने पर बल दिया है, जो राजनीति, समाज और राष्ट्र सेवा से जुड़े हों। साथ ही आचार्यों को राजनीति से दूर रहने की सलाह भी दी है। स्वामी कैलाशानंद गिरि ने निरंजनी अखाड़े के सचिव व अखाड़ा परिषद और मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी का नाम भी सुझाया है।

मीडिया से बातचीत में आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि ने कहा कि भारत सनातनियों का देश है, साधु संतों, मनीषियों का देश है। भारतीय राजनीति में कई साधु संत लोकसभा सांसद है, कई साधु संत जनप्रतिनिधि हैं। उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद साधु हैं। भारत में वैसे भी कई साधु लोकसभा में है। यदि कोई राज्यसभा चुनकर जाता है तो संतों को अच्छा लगेगा। आचार्यो को अच्छा लगेगा। मुझे लगता है कि जो साधु संत राजनीति से संबंध रखते हैं, उनका चयन होना चाहिए। उनमें जो योग्य हो, जिनकी समाज के प्रति, राष्ट्र के प्रति श्रद्धा, आस्था, विश्वास, सेवा और समर्पण हैं, उनका चयन करना चाहिए। हरिद्वार संतों की नगरी है। मुझे लगता है कि हरिद्वार से किसी का चयन हो तो बहुत ऐसे महापुरुष हैं, जो सेवा में रहते हैं। मैं अपनी बात करूं तो अच्छा नहीं लगेगा, लेकिन निरंजनी अखाड़े के सचिव और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने कोराना काल में समाज और राष्ट्र की बहुत सेवा की है। लाखों करोड़ रुपये दान किए, गरीबों की सेवा में लगाए हैं। ऐसा अवसर आता है और साधुओं में किसी श्रेष्ठ संन्यासी को राज्यसभा में भेजा जाता है तो श्रीमहंत रविंद्र पुरी को यह अवसर मिलना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि आचार्यों को छोड़कर संत का चयन होना चाहिए। कहा कि मैं आचार्यों से आग्रह करुंगा कि राजनीति में कदापि हस्तक्षेप स्वंय के लिए न करें। आचार्यों का नेतृत्व धर्म और परंपराओं को बचाने, राष्ट्र की रक्षा के लिए है। राजनीति के लिए नहीं है। अखाड़े के साधु संतों को इसमें आना चाहिए।

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