
अखाड़ों से ही संत महापुरूषों को ख्याति मिलती है-स्वामी दर्शन भारती
हरिद्वार, 28 दिसम्बर। निरंजनी अखाड़े के श्री महंत स्वामी दर्शन भारती महाराज ने कहा कि अखाड़ों की पंरपरांओं का निर्वहन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अखाड़ों की परंपराओं को बचाने के लिए संत महापुरूषों को निर्णायक भूमिका निभानी होगी। अखाड़ों से ही संत महापुरूषों को ख्याति मिलती है। उन्होंने कहा कि नागा सन्यासी परंपरांओं के निर्वहन में निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति का प्रचार प्रसार देश दुनिया में होना चाहिए। अखाड़े ही आचार्यो की पदवी प्रदान करते हैं। प्रत्येक अखाड़े के गुरू हैं। लेकिन आचार्य अखाड़ें के गुरू नहीं होते हैं। स्वामी दर्शन भारती ने मांग करते हुए कहा कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज अखाड़ों की मान मर्यादाओं और परंपरांओं का संरक्षण करने में सहयोग प्रदान करें। उन्होंने कहा कि अखाड़ों से आचार्य हैं। आचार्यो से अखाड़े नहीं है। इसलिए अखाड़ा सर्वोच्च है। सभी को अखाड़ों को सम्मान देना चाहिए। सभी अखाड़ों को परंपरांओं से खिलवाड़ करने वालों के बारे में विचार करना चाहिए। ताकि कोई भी बड़ा संत महात्मा अखाड़ों की अवेहलना ना कर पाए