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भगवान भोलेनाथ की पूजा-आराधना और उपासना में शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाने की परंपरा है।

 

(श्री सिद्धेश्वर महादेव मंदिर जगजीतपुर पीठ बाजार)

आज देशभर में बड़े ही शुभ योग में महाशिवरात्रि मनाई जा रही है। हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल महाशिवरात्रि का त्योहार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। सनातन धर्म में महाशिवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व होता है। इस पर्व पर पूरे दिन व्रत रखते हुए शिव मंदिरों में जलाभिषेक और विशेष धार्मिक आयोजन होते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस तिथि पर भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था।

मंदिर संचालक कुलदीप सिंह ने कहा की भगवान भोलेनाथ की पूजा-आराधना और उपासना में शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाने की परंपरा है। दरअसल पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब समुद्र मंथन के हलाहल विष निकला था। इस विष के प्रभाव से समूची सृष्टि में प्रलय मच गया था। तब इस विष को शिवजी ने अपने कंठ में धारण कर लिया था। विष के दुष्प्रभाव के कारण शिवजी के शरीर का ताप बहुत अधिक बढ़ गया था। तब शिवजी के शरीर का ताप कम करने के लिए सभी देवताओं ने मिलकर जल और दूध की धारा चढ़ाई गई। इस कारण से शिवलिंग पर दूध, दही, शहद और जल से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है। एवं सभी क्षेत्रवासियों को महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं दी

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