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योग्य शिष्य ही गुरु की कीर्ति को बढ़ाते हैं-श्रीमहंत रविंद्रपुरी

पुण्यतिथि पर संत समाज ने किया साकेतवासी महंत मोहनदास रामायणी को नमन

हरिद्वार, 12 फरवरी। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि योग्य शिष्य ही गुरु की कीर्ति को बढ़ाते हैं। भूपतवाला स्थित श्री सीताराम धाम आश्रम में आश्रम के परमाध्यक्ष महंत सूरजदास महाराज के सानिध्य में साकेतवासी महंत मोहनदास रामायणी की पांचवीं पुण्य तिथि पर आयोजित गुरु श्रद्धा उत्सव को संबोधित करते हुए अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि साकेत वासी महंत मोहनदास रामायणी महाराज विद्वान संत थे। धर्म शास्त्रों का उनका ज्ञान विलक्षण था। गुरू के रूप में ऐसे विद्वान संत का सानिध्य भाग्यशाली व्यक्ति को मिलता है। महंत सूरज दास महाराज सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें साकेत वासी महंत मोहनदास रामायणी के सानिध्य में धर्म और अध्यात्म की शिक्षा दीक्षा प्राप्त करने का अवसर मिला। जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने कहा कि महंत मोहनदास रामायणी महाराज उच्च कोटि के संत थे। महंत सूरजदास जिस प्रकार अपने गुरू के अधूरे कार्यो को आगे बढ़ा रहे हैं। वह सराहनीय है, युवा संतों को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरांनंद सरस्वती ने कहा कि गुरू से प्राप्त ज्ञान और संत परंपराओं का अनुसरण करते हुए महंत सूरजदास महाराज को समाज का मार्गदर्शन करने के साथ धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार में भी योगदान करते देखना सुखद व प्रेरणादायक है। महंत जसविंदर सिंह, पूर्व पालिकाध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी, महंत रघुवीर दास, स्वामी ऋषिश्वरानंद, बाबा हठयोगी एवं स्वामी हरिहरनंद महाराज ने कहा कि धर्म प्रचार में साकेतवासी महंत मोहनदास रामायणी का योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। सभी को उनके जीवन दर्शन से प्रेरणा लेनी चाहिए। महंत सूरजदास महाराज ने कार्यक्रम में शामिल हुए संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पूज्य गुरूदेव साकेतवासी महंत मोहनदास रामायणी से प्राप्त ज्ञान व शिक्षाओं के अनुसरण और संत समाज के आशीर्वाद से गुरू परंपराओं को आगे बढ़ाते हुए समाज को धर्म व अध्यात्म की प्रेरणा देना और सनातन धर्म संस्कृति का प्रचार प्रसार करना ही उनके जीवन का उद्देश्य है। कार्यक्रम का संचालन स्वमाी रविदेव शास्त्री ने किया। महंत रघुवीर दास, महंत सूरजदास, महंत जयराम दास व आश्रम के ट्रस्टीयों ने फूलमाला पहनाकर सभी संतों का स्वागत किया। इस अवसर पर महंत नारायण दास पटवारी, महंत बिहारी शरण, महंत प्रेमदास, महंत राजेंद्रदास, महंत निर्भय सिंह, स्वामी शुभम गिरी, स्वामी रामदास, स्वामी सत्यव्रतानंद, महंत मोहन सिंह, स्वामी अंकित शरण, महंत हरिदास, स्वामी राममुनि, महंत दुर्गादास, महंत गंगादास उदासीन, स्वामी शिवानंद, स्वामी ऋषि रामकृष्ण, स्वामी शिवानंद भारती, स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि, स्वामी ज्ञानानंद सहित सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरुष व श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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