
शंकर की ज्योति से नूर मिलता है भक्तों के दिलों को सुकून मिलता है शिव के द्वार आता है जो भी सबको फल जरूर मिलता है।-प्रदीप शर्मा
आज सावन माह की शिवरात्रि है। वैसे तो साल भर में कुल 12 शिवरात्रि पड़ती है, लेकिन सावन और फाल्गुन शिवरात्रि का खास महत्व होता है। सावन का महीना भगवान शिव को सबसे प्रिय होता है। सावन के महीने में शिव जी माता पार्वती संग पृथ्वी पर वास करते हैं और अपने भक्तों की हर तरह की मनोकामनाओं का पूरी करते हैं। सावन के पवित्र महीने में शिव मंदिरों में विशेष रूप से भोलेनाथ की पूजा अर्चना होती है। सावन शिवरात्रि पर शिव भक्त सुबह से ही मंदिरों में शिवलिंग का जलाभिषेक करने के लिए आते हैं। इस दिन शिव भक्त उपवास रखकर मंत्रों का जाप करते हुए शिवजी की आराधना में लीन रहते हैं। साथ ही अपनों की मंगलकामना के लिए पूजा करते हैं।
शिव पुराण के अनुसार सावन में ही समुद्र मंथन हुआ था, जिसमें शिव जी ने विष पान कर समस्त सृष्टि की रक्षा की थी लेकिन इस हलाहल विष के कारण वह असहज हो गए. उनके गले में असहनीय दर्द उठा. विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी- देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया. यही वजह है कि सावन में शिवलिंग का जलाभिषेक करने का विधान है. मान्यता है सावन में शुभ तिथियों पर शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जाए तो व्यक्ति के सारे दुख, दोष, रोग दूर हो जाते हैं.
शंकर की ज्योति से नूर मिलता है
भक्तों के दिलों को सुकून मिलता है
शिव के द्वार आता है जो भी
सबको फल जरूर मिलता है।
सावन शिवरात्रि की शुभकामनाएं -प्रदीप शर्मा